इस रस्म को देखने वाले प्रत्यक्षदर्शी गवाह श्री हरबंश मल्होत्रा (निवासी मकान नंबर 92/8 दरम्याना मोहल्ला) हमें मिले जिन्होंने यह विवरण बताया। अलबत्ता उस समय उनकी आयु ज्यादा नहीं मुश्किल से 9 या 10 साल की रही होगी लेकिन उनकी याददाश्त में यह अभी भी अंकित है।
इसी तरह से मण्डीनगर में कई घरों में यह पीढ़ी दर पीढ़ी वंशावली अपडेट होती रहती थी। फिर यह भी पता चला कि हरिद्वार में जो पंडा लोग वंशावली अपनी बहीयों में लिखते हैं वो कभी-कभार साल में एक बार अपने जजमान के घरों में घूमते थे और उनसे पूछ पूछ घर के सभी सदस्यों के नामों के बारे में आवश्यक डाटा लिख कर करके ले जाते थे और फिर अपनी बहियों को वह अपडेट करते थे।
हमें यह रोचक जानकारी श्री पूर्ण प्रकाश गोयल एडवोकेट से मिली जिनके पूर्वज इस घर में पीढ़ी दर पीढ़ी रहते चले आ रहे हैं। इनकेपिता जी ने भी इन वंशावली के मूल रूप को दीवार पर लिखा हुआ देखा था। बाद में भवन निर्माण के दौरान यह ऐतिहासिक धरोहर नष्ट हो गई।पुनश्च:हमारी जानकारी में यह भी आया है कि मंडी के सहगल, गोयल, वैद्य,बहल, लम्क्याड़ू, हांडा व लोहिया परिवारों में भी वंशावलियां बनी है जिनसे व अन्य छूट गए परिवारों से भी संपर्क किया जा रहा है।mandipedia/23फोटो: मंडीपीडिया/23