चलिए आज आपको पुरानी मंडी में प्राइमरी स्कूल के पास ले चलते हैं जिसको रियासत कालीन मंडी में ठारू के नाम से भी जानते थे। कहते हैं कि यहां मंडी राजा का कभी महल हुआ करता था।इसके ठीक सामने एक सब्जी व कन्फेक्शनरी की दुकान है। उस दुकान के शटर के साथ ही सड़क की ओर एक पत्थर का वर्गाकार रूप में लगभग 2:30 से 3 फीट का स्तंभ है जिसको चारों अब टाईलें लगा दी गई हैं लेकिन इसका ऊपरी नक्काशी दार भाग अभी भी स्पष्ट दिखता है इसमें 13 तीलियों वाला एक गोल चक्कर है जिस पर लोग श्रद्धावश पैसे भी चढ़ाते हैं। स्थानीय लोगों से पूछने पर पता चला कि वह इसे टारना माता के चरण/ पादुका/पातके के रूप में पूजा करते हैं। वैसे इस रूप में मंडी में कहीं पर भी पातका या पादुका देखने को नहीं मिलती क्योंकि उसमें चरण के निशान स्पष्ट देखने में मिलते हैं।
इस स्तंभ को इस स्थान पर क्यों,कब व किसने बनाया इसके बारे में कोई विशेष जानकारी अभी तक नहीं मिल सकी है। ऐसा चिन्ह पत्थर पर खुदा हुआ अन्यंत्र मंडी नगर में कहीं भी मुझे देखने को नहीं मिला। इसको देखकर क्या आपका बौद्ध धर्म के धम्मचक् की तरफ ध्यान नहीं जाता? वैसे यह शोध का विषय है और हमारी कोशिश यही होनी चाहिए कि इसके ऊपर कोई भी निर्माण अथवा इसका रूप परिवर्तन चौहट्टा के पातके की तरह टाइल लगाकर ना किया जाए। यदि आपके पास इसको लेकर कोई जानकारी हो तो कृप्या पोस्ट करें। यह हमारी बहुत ही पुरातन अमूल्य धरोहर है जो मंडी के बहुत ही प्राचीन इतिहास को इंगित करती है।vkb/mandipedia/2023