रियासत कालीन चौकीनुमा भवन में बना गांधी भवन
Posted on 30-05-2023 11:52 AM

                                                                                                         गांधी भवन मंडी

 मंडी का प्रसिद्ध चौहटा बाजार अपने गौरवशाली अतीत के कारण नगर में विशिष्ट पहचान रखता है।अभी हम चौहटा बाजार की बात ना करके अपना ध्यान केवल एक भवन पर ही केंद्रित करके यह जानने का प्रयास करेंगे इसका इतिहास क्या रहा है‌।इस भवन में कई दुकाने, बैंक व कार्यालय वर्तमान में चल रहे हैं।रियासत कालीन मंडी में कभी दो मंजिला लकड़ी का विशाल हवेली नुमा भवन यहां हुआ करता था जिस की ड्योढ़ी लगभग आठ 8 फीट ऊंची होती थी और इसका अकार व बनावट ऐसी थी जैसे की मंडी नगर की कई प्राचीन चौकियों वाले घरों की आप आज भी देखते आ रहे हैं। आंगन चौकोर कटे हुए पत्थरों से बना था और पहाड़ी शैली बने इस चौकी की छत स्लेट से बनी थी और शायद है राजा भवानी सेन के समय इसका निर्माण हुआ था। हमें दो ऐसे प्रत्यक्षदर्शी वयोवृद्ध गवाह मिले जिन्होंने भवन के उस प्राचीन स्वरूप को देखा है जो उनकी आंखों में अभी भी समाया हुआ है। पहले तो हैं बाबू ओम चंद कपूर जी। जो किसी परिचय के मोहताज नहीं है इसी वर्ष फरवरी में आपने अपना सौवां जन्मदिन मनाया है। पूछने पर बाबूजी पुरानी यादों में खो गए और हमें बताया कि"इस दो मंजिली भवन की निचली मंजिल के कुछ कमरे सीलन भरे अंधेरे कोठी नुमा थे और निचली मंजिल अंधेरे में डूबी रहती थी और बंद रहती थी"। उन्होंने आगे बताया," राजशाही के दौरान  यहां कोतवाली होती थी जो बाद में यहां से सिटी चौकी आजकल जहां है वहां पर बनाई गई। जेल की तरह धरातल के निचले कमरों का प्रयोग हुआ करता था जहां दुर्दांत अपराधियों को रखा जाता था"।यहां पर कभी 'कुल्लू वैली ट्रांसपोर्ट' कंपनी का दफ्तर प्रवेश द्वार के एक तरफ हुआ करता था। रियासत काल में इस भवन का एक विशेष नाम था जो समय के साथ अब हमारे यह आदरणीय वयोवृद्ध सज्जन गण याद नहीं कर पाए।

ऊपर की मंजिल में मंडी नगर के विशेषकर खत्री समुदाय से संबंधित कुछ अर्ज नवीस(पिटिशन राइटर)बैठा करते थे जिनमें क्रमशः बंगला मोहल्ला निवासी सर्व श्री लेखराज बहल, भगवाहन मोहल्ला में रहने वाले जैदेव बहल तथा बालकरूपी  बाजार से थोड़ा आगे बदरीदास टंडन जी के नाम उन्हें आज भी याद हैं।अन्य नामों को वह भूल चुके हैं अलबत्ता यह भलीभांति आज भी याद है कि इस भवन के ऊपरी मंजिल में पिटिशन राइटर आज की अपेक्षा ज्यादा बैठा करते थे। क्योंकि उस समय राजस्व संबंधी समस्याएं ही अधिकांश लोगों की होती थी। उस समय तहसील कार्यालय थोड़ी दूरी पर नीचे जहां आजकल पुलिस की सिटी चौकी है उसके साथ ही होता था जिसमें परमानंद तहसीलदार तैनात थे। बाद में तहसील को मंगवाई में स्थानांतरित किया गयाथा।

दूसरे प्रत्यक्षदर्शी गवाह मिले 93 वर्षीय गुरुदेव श्री भूपेंद्र मल्होत्रा जी। उन्हें आज भी अच्छी तरह याद है,"आम के मौसम में जड़ोल सुकेत के आम यहां इस हवेली नुमा लकड़ी के भवन के आंगन में व्यापारियों द्वारा लाकर रखे जाते थे और उनकी नीलामी यहां होती थी। और नीलामी करने वाले शख्स को पैसे ना देकर के प्रति टोकरी 4-5 आम मिलते थे।नीलामी करने वाला शख्स भी उनके अपने ही पुराने घर से था"

स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात मंडी रियासत के विलय होने पर फिर यहां 50-60 के दशक में गांधी भवन का निर्माण हुआ। अग्निकांड में इस पुरानी बिल्डिंग का भी काफी नुकसान हुआ था जिसे गिरा करके पुनः यहां पर पक्का भवन बना जिसे हम सभी गांधी भवन के नाम से जानते हैं।जिसके लिए लोगों ने चंदा इकट्ठा करके इस आलीशान भवन का निर्माण किया था। साधन जुटाने पर बारी बारी से इसमें विभिन्न मंजिलें निर्मित हुई जिनको बनाने में स्थानीय निवासियों ने अपने स्तर पर इसमें कार सेवा भी की थी।

वर्तमान में इसमें प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी स्वामी पूर्णानंद जी के नाम से चैरिटेबल आयुर्वेदिक अस्पताल लोगों की सेवा कर रहा है तथा वाणिज्य प्रतिष्ठान,बैंक, स्कूल व कई संस्थाओं के कार्यालय व कांग्रेस पार्टी का दफ्तर इसमें चल रहा है। mandipedia/23

 

   

फोटो परिचयःउपर बायें से 1. श्री ओम चन्द कपूर 2. श्री बद्री दास टंडन।

नीचे बायें से 3.श्री भुपेन्द्र मल्होत्रा 4.श्री जैदेव बहल 5.श्री लेख राम बहल।


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