Posted on 06-06-2023 08:38 AM
पहाड़ू परिवार में है संरक्षित 100 साल पुरानी गरी चीरने की दराटी
नगर के विभिन्न समुदायों में सदियों से पक-पकवान घर घर में बनाए जाते रहे हैं। सर्दियों में कुछ पकवान ऐसे हैं जिनमें नारियल की मात्रा का अधिक प्रयोग होता है उदाहरण के लिए गजक(गंजक),रोडू इत्यादि।
नारियल के गोले को चीरने के लिए कई घरों में प्राय:एक विशेष प्रकार की दराटी हुआ करती थी जिसका आकार,साइज व डिजाइन अपनी एक विशेषता लिए हुए होता था। चित्र को ध्यान से देखें तो आपको इसमें छिपकली की तरह दिखने वाली दराटी दिखाई देगी। उसके अग्रभाग पर एक गोल छल्ला भी नजर आ रहा है।जैसे मानो उसका नाक छेद कर उसमें नथ(बाड़ु) को पहनाया गया हो। इसलिए इसको मण्डयाली में बाड़ू वाली वाली दराटी भी कहते थे।इसके पैने हिस्से को ढकने के लिए एक लंबी सूती कपड़े की पट्टी (लीर) को लपेटा जाता था और गरी चीरते समय औरतें अपने अंगूठे के ऊपर उसे लपेट लेती थी ताकि जोर पड़ने पर अंगूठा सुरक्षित रहें क्योंकि दराटी बहुत पैनी हुआ करती थी।और कहते हैं कि जिस धातु से तलवार बनती है उसी से यह भी कारीगरों द्वारा बनाई जाती थी।
मंडी में कुछ औरतें तेज गति से बारीक गरी चीरने के लिए बहुत प्रसिद्ध थी और उस समय के सामाजिक ताने-बाने में एक दूसरे को गरी के गोले चीरने के लिए दिए जाते थे। मण्डी में पहले शादी में लगन के दौरान कटी हुई बारीक गरी जिसे मंडयाली में मकसूद कहते हैं बारातियों को मिठाई के साथ रखी जाती थी।इसका प्रयोग मण्डयाली धाम में बदाने के मीठे में ऊपर से डालने के लिए भी किया जाता है जो स्वाद में अपनी विशिष्टता लिए होता है।अब तो मशीनीकरण के युग में कटी हुई बारिक गरी बाजार से ही खरीदी जाती है।ना किसी के पास समय है ना कोई महिला इसे अब दराटी से काटने की इच्छुक है ना कोई इसे सीखना चाहती है।
दराटी का यह फोटो नगर के मशहूर धागों के विक्रेता दिनेश एंड संन्ज के परिवार,जिन्हें पहाड़ू कह कर मंडी वाले जानते हैं, से प्राप्त हुआ है। यह दराटी उनके परिवार में पिछले 100 वर्षों से भी ज्यादा पुरानी संभाल कर रखी गई है जिन की चौथी पीढ़ी के वंशज करण टंडन ने हमें यह फोटो उपलब्ध कराई है जिसके लिए मंडीपीडिया उन्हें बधाई देती हैं। हम सभी को अपने घरों में अपनी विरासत को किसी न किसी रूप में संजो कर रखना चाहिए। वस्तुत: यह हमारी समृद्ध संस्कृति की पहचान है।mandipedia/23