मंडी के फैशन डिजाइनर्ज
लल्हु, जगीरू व लाहौरी मास्टर
यदि हम लोग रियासत कालीन समाज व स्वतंत्रता के बाद का समय देखें तो यह बात स्पष्ट हो जाएगी कि मंडी में कपड़ों के पहनावे,उनका चयन व डिजाइन और सलीके से पहनने का ढंग व अंदाज हमेशा सुरुचिपूर्ण व आकर्षक रहा है।विशेषकर महिलाओं में उस समय के हिसाब से आधुनिक लिबास जहां उन्हें आधुनिकता की की दौड़ में आगे ले जाते था वहीं दूसरी ओर उनका व्यक्तित्व इसमें आकर्षक भी दिखता था।
प्रश्न उठता है कि महिलाओं को फैशन के प्रति यह दीवानगी पैदा करने के लिए स्थानीय स्तर पर फैशन डिजाइनर कौन-2 हुआ करते थे। पहले स्त्रियों के पहनावे की बात करें तो दो नाम प्रमुखता से सामने आते हैं पहला है लल्हु मास्टर। इनका पूरा नाम अमरनाथ था और यह भरवाई गांव से 1952 के आसपास मण्डी आए और आते ही यहां पर प्रसिद्ध हो गए।
इनका व्यक्तित्व भी बड़ा आकर्षक था।बाईं ओर फोटो लल्हु मास्टर का है। छोटा कद, हमेशा सफेद कुर्ता पजामा पहने और दोनों उंगलियों के बीच में फंसी सिगरेट का कश लगाते हुए, सबसे आत्मीयता से बात करते और गप्पे मारते चलते थे।बातचीत में मधुर व्यवहार व क्रिएटिव माइंड होने के कारण इन्हें अपनी दुकानदारी जमाने में ज्यादा समय नहीं लगा और बहुत ही कम समय में प्रसिद्ध हो गए। वह कांग्रेस पार्टी के प्रबल समर्थक थे।हम आजकल के हिसाब से फैशन डिज़ाइनर में उन्हें मनीष मल्होत्रा की संज्ञा भी दे सकते हैं। प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय फल विज्ञानी विशेषज्ञ डॉक्टर चिरंजीत परमार व शिक्षाविद श्रीमती लीला हांडा जी भी लल्हु मास्टर के क्लासफैलो रहे हैं। (लड़कियों के स्कूल में उस समय विज्ञान का विषय नहीं होता था)
इनके बारे में प्रसिद्ध था कि मंडी के एक मात्र सिनेमा हॉल कृष्णा टॉकीज में फिल्में में हीरोइनों के फैशनेबल कपड़ों जैसे डिजाइन के कपड़े तैयार करके महिला ग्राहकों को देते थे।कहा तो यहां तक जाता है कि धनाढ्य वर्ग की महिलाओं में फैशन के प्रति इतनी दीवानगी थी की लेटेस्ट डिजाइन के कपड़े बनवाने के लिए लल्हु मास्टर को फिल्म देखने के लिए टिकट के पैसे स्वंय देती थी और मास्टर जी फिल्म देखकर हीरोइन के कपड़ों के डिजाइन के हिसाब से वैसे ही कपड़े सिल कर उन महिलाओं को दे देते थे।
मंडी में फैशन को लेकर के अक्सर कहा जाता था कि मुंबई से फैशन सीधा पहले मंडी आता है फिर शिमला व चंडीगढ़ पहुंचता है। उस समय मंडी के बहुत लोग शिमला में नौकरी करते थे और मंडी आने पर यह कहना नहीं भूलते थे कि भई, मंडी तो शिमला से बहुत आगे फैशन के मामले में है और उन्हें अपने कपड़ों को लेकर के एक अजीब सा भाव मंडी के फैशन देखकर होता था। लल्हु मास्टर के बाद अबअगली पीढ़ी इस काम को छोड़कर सिलाई से संबंधित सामान बेचती है। यह दुकान पलाखा बाजार में बेली हलवाई दवाई की दुकान के साथ ही लगती है।
जगीरू टेलर:दूसरे नंबर पर महिलाओं के कपड़े सिलने के लिए जगीरु बहुत मशहूर था जिन्हे भारत पाकिस्तान के बंटवारे के समय कोई अपने साथ मंडी ले आया था,वह अकेले ही थे। बालक रूपी बाजार में आगे जाकर जहां नरेंद्र गोयल जी का मकान है उनके किराए की दुकान में दर्जी की दुकान चलाते थे।अपने काम में जगीरु भी बहुत माहिर था तथा हमेशा महिलाओं का जमघट कपड़े सिलवाने के लिए इनकी दुकान में लगा रहता था। जगीरू जी का फोटो हम कहीं से प्राप्त नहीं कर सके।
लाहौरी मास्टर उर्फ कुतली मास्टर:
कांग्रेसी दिग्गजों के साथ लल्हु मास्टर