ध्यानस्थ बुद्ध प्रतिमा
यह तो सर्वविदित ही है कि मंडी कभी बौद्ध धम्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।माता खुआ राणी का मंदिर, तारा देवी, नागार्जुन गुफा, ब्यास नदी के किनारे पुरानी मंडी की ओर महासिद्ध तिलोपा व मिलोपा की गुफा,नगर में कई स्थानों पर पत्थर के बने सिरीपाद, त्र रत्न व देवालय में स्थापित मूर्तियां व स्तूप इस बात की पुष्टि करते हैं कि कभी यहां बौद्ध धर्म अपने शिखर पर था।
आज़ मंडी नगर में बौद्ध धम्म की नष्ट हो चुकी एक अमूल्य धरोहर के बारे में बात करते हैं।स्कूल बाजार में डाइट भवन के पीछे की खाली जगह में एक कोने में एक छतरी नुमा चार स्तंभों पर कैनोपी नुमा ढांचा बनाया गया था जिसमें लगभग 5 फीट ऊंची महात्मा बुद्ध की ध्यानास्थ मुद्रा में बहुत ही सुंदर प्रतिमा हुआ करती थी।कई बुजुर्गों ने इस मूर्ति को देखा है और उनकी स्मृति में यह मूर्ति अभी भी बसी हुई है।डॉक्टर चिरंजीत परमार जी ने बताया की कि महात्मा बुद्ध की यह मूर्ति पत्थर की नहीं बल्कि सीमेंट की बनी थी और यह वर्ष1940 के आसपास बिजै हाईस्कूल के हेडमास्टर हेमचन्द जी ने बनवाई थी। इसके साथ ही छोटा सा पानी का टैंक होता था और भारत का एक नक्शा बहुत बड़ा बनाया गया था जिसमें बल्ब भी लगे होते थे।बचपन में हमने भी इस मूर्ति को देखा था जिसका सिर नष्ट हो चुका था केवल धड़ ही दिखता था।कालांतर में पता नहीं कब इस प्रतिमा को भी नष्ट कर दिया। और इस तरह बौद्ध धर्म से संबंधित एक बहुत ही महत्वपूर्ण धरोहर काल की आगोश में समा गई। बहुत छानबीन करने पर मोती बाजार में स्थित मंडी के प्रसिद्ध व्यापारी मैसेज अश्वनी रेडियो कंपनी (एआरसी) परिवार के श्री अशोक धवन ने बहुत पुराने कुछ पारिवारिक फोटोग्राफ उपलब्ध कराए हैं जिसमें इस कैनोपी को आप पृष्ठभूमि में स्पष्ट रूप से देख सकते हैं लेकिन इसमें कहीं मूर्ति नजर नहीं आती।विनोदबहल/mandipedia/2023