श्री टारना माता मंदिर में पंचमुखी शिव
मण्डी के मंदिरों में मूर्तिकला के विभिन्न आयाम देखने को मिलते हैं।लेकिन ध्यान न देने के कारण इनके दर्शन से हम वंचित हो जाते हैं। प्राचीन भारत में मूर्ति कला की तीन भिन्न-भिन्न शैलियां प्रसिद्ध हुई और उसी के अनुरूप उनकी अपनी मूर्तिकला भी विकसित हुई जिसमें गांधार मूर्ति कला,मथुरा मूर्तिकला और अमरावती मूर्तिकला भारत में प्रसिद्ध रही है।
मण्डी में जितने भी मंदिर हैं उनमें मूर्तिकला के अद्भुत रूप देखने को मिलते हैं जो कि प्राचीन धरोहर प्रेमियों की उत्सुकता को और भी बढ़ा देते हैं।कुछ अपवाद को छोड़कर मंडी के मंदिरों में स्थापित विभिन्न मूर्तियां प्राय: समान रूप से देखने को मिलती हैं।अब इस कला के पारखी ही बता सकते हैं कि इसमें गांधार मूर्तिकला या मथुरा मूर्ति कला में से किसका प्रभाव अधिक है।इसी कड़ी में जब आप श्री टारना माता मंदिर के प्रांगण में कोने पर स्थित हनुमान जी की मूर्ति के दर्शन करने जाते हैं तो वहां पर आसपास कई मूर्तियां रखी हैं जिनमें आपको पंचमुखी शिव की एक अद्भुत पत्थर की प्रतिमा देखने को मिलेगी जिसकी ऊंचाई मुश्किल से 1 फीट होगी।इसमें चारों ओर शिव जी की मूर्ति बनी है व ऊपर की ओर एक मुख, कुल मिलाकर पंचमुखी शिव की यह प्रतिमा बहुत ही बारिक नक्काशी से सुसज्जित नजर आती है। अभी तक केवल पंचवक्त्र में ही पंचमुखी शिव की प्रतिमा के बारे में सुनते व देखते आए हैं।टारना माता मंदिर में अति प्राचीन पंचमुखी शिव की यह अद्भुत प्रतिमा दर्शनीय है।vinodbehl/mandipedia/202