रियासत काल से मण्डी में प्रतिवर्ष शिवरात्रि मेले का भव्य स्तर पर आयोजन होता है जिसे स्थानीय भाषा में जातरा भी कहते हैं। शिवरात्रि मेला कमेटी की ओर से जिले भर के सभी 200 से ऊपर के देवी देवताओं को इसमें आमंत्रित किया जाता है। जो सर्वप्रथम श्री राज माधव राय के मंदिर में आकर के हाजिरी सुनिश्चित करते हैं तत्पश्चात राज महल में राजा के समक्ष हाजिरी देकर अपने अपने गंतव्य स्थान की ओर कुच करते हैं।अंतिम मेले तक चयनित स्थान पर समस्त देवी देवता अपने-अपने देवलुओं व बजंतरीयों सहित रहते हैं। और समस्त मेहमानों को मेले के दौरान दोपहर को पारंपरिक मण्डयाली धाम खिलाई जाती है जिसका खर्चा स्थानीय स्तर पर कई व्यापारिक संगठन व संस्थाएं करती हैं जिसको एडवांस में अपनी बारी के लिए बुकिंग करनी पड़ती है।
यह फोटो राज महल के प्रांगण का है जहां पर देवी देवता आपस में मिल रहे हैं।किस शक्ति से व कैसे यह मिलन होता है, इसकी अभी तक कोई वैज्ञानिक व्याख्या उपलब्ध नहीं हो पाई है। जिन लोगों ने देवी देवता को रथ के भीतर से लकड़ी के पिरोए हुए दो लम्बी आगड़ के साथ अपने कंधों पर उठाए होता है, उनका यही अनुभव होता है कि इसमें उनकी ओर से कोई देवताओं को आपस में मिलाने या उनके गोल घेरा बनाते हुए इधर उधर जाने की गतिविधियों में कोई योगदान नहीं होता है और यह स्वत: ही होता है।
यह फोटो जब लिया गया था तब होटल मेफेयर नहीं बना था। सामने बीएसएनएल का भवन दिख रहा है।