मण्डी के साहित्यकार श्री किशोरी लाल वैद्य
Posted on 09-07-2023 09:45 AM

श्री किशोरी लाल वैद्य

मण्डी में रघुवीर सिंह और सोमा वैद्य के घर किशोरी लाल वैद्य जी का जन्म 29 मार्च 1936 को हुआ।इनके पिता जी उर्दू के एक जाने माने अध्यापक थे और केवल अढ़ाई वर्ष की आयु में दीपावली के दिन इनके सिर से माताजी का साया उठ गया।इनके लालन-पालन में उनकी दादी एवं बुआ का बहुत ही योगदान रहा। इन्होंने अपनी मैट्रिक की शिक्षा स्थानीय बिजै हाई स्कूल मंडी से प्राप्त की। स्कूल के दिनों से इनके कुछ विशेष मित्रों का लम्बा साथ रहा इनमें

सर्व श्री हरबंस कपूर, योगराज वैद्य, स्वर्गीय नरेंद्र टंडन व स्वर्गीय डॉ बीएल कपूर खास थे। इन्होंने अपनी स्नातक की उपाधि वल्लभ महाविद्यालय मंडी से प्राप्त करके डी.ए.वी. कॉलेज होशियारपुर से एम.ए. पॉलिटिकल साइंस में किया।तत्पश्चात इन्होंने सोलन से बी.एड. किया और वर्ष 1962 में हरदेव कपूरजी की सुपुत्री गंगा कपूर से इनका विवाह हुआ।पुत्री सोनिया डीएवी सैंटनरी पब्लिक स्कूल में अध्यापन करा रही हैं और इंजीनियर पुत्र शकुन जेपी सीमेंट में वाइस प्रेसिडेंट के प्रतिष्ठित पद पर कार्य कर रहा है और नोएडा में अपनी पत्नी नीतू एवं पुत्रों के साथ रहते हैं।

साहित्यिक यात्रा:

हिमाचल प्रदेश के प्रतिष्ठित साहित्यकारों में वैद्य जी के नाम से प्रसिद्ध किशोरीलाल वैद्य पिछले छह दशकों से अपनी कलम से सृजन कर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर चुके हैं। आपने हिमालय क्षेत्र की पारंपरिक लोक कला संस्कृति, जीवन दर्शन, धर्म,साहित्य और कला के अद्भुत और विभिन्न आयाम का गहन अध्ययन करके उन्हें अपने विचारोत्तेजक लेखों के माध्यम से दुनिया से परिचित कराया जिन्हें साहित्यिक वर्ग में हाथों-हाथ लिया गया और इन्हें बहुत प्रसिद्धि मिली।

वैद्य जी ने अपने कैरियर की शुरुआत जून 1960 में राजकीय उच्च विद्यालय हटगढ़, जिला मंडी में अध्यापक की नौकरी ज्वाइन करके की। क्योंकि लेखन का शौक इनके डीएनए में था। स्कूल की पत्रिकाओं में उनके लेख छपने से इनकी साहित्य की नींव पड़ चुकी थी जिससे इनका मनोबल दिनों दिन बढ़ता गया।

और यह उस समय की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में अपनी रचनाएं भेजते रहते थे जो अक्सर प्रकाशित होती रहती थी। अब स्कूल में अध्यापन कराते हुए इन्हें अपनी लेखनी को समय देने में कमी महसूस हुई और अंततः इन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर लेखक बनने की ठानी जो कि उस समय की सामाजिक और पारिवारिक स्थिति को देखते हुए एक बहुत ही साहसिक कदम था क्योंकि उस जमाने में कोई भी सरकारी नौकरी को छोड़ने का स्वप्न भी नहीं ले सकता था।

इसके पश्चात वैद्य जी ने हिमाचल सरकार के भाषा विभाग द्वारा संचालित पत्रिका हिमप्रस्थ में बतौर उप संपादक नौकरी ज्वाइन की।


वैद्य जी हिमाचल सरकार के लोक संपर्क विभाग से बाद में संयुक्त निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए ।'तट के बंधन' उपन्यास,'हिमालय की लोक कथाएं' पुस्तक, 'नदी नाव संयोग', 'सफेद प्रतिमा काले साए' तथा अंग्रेजी में 'द कल्चरल हेरिटेज आफ द हिमालय' जैसे शोध ग्रंथ प्रकाशित किए।लाहुल स्पीति में जिला लोक संपर्क अधिकारी के कार्यकाल में उन्होंने 'प्रवासी के अनुबंध' नाम की पुस्तक लिखकर वहां की सांस्कृतिक धरोहर को अपनी कलम से प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया।

सरदार शोभा सिंह कला पुरस्कार से पुरस्कृत:

विश्व विख्यात कलाकार सरदार शोभा सिंह की 123 वीं जयंती के मौके पर अंदरेटा में वर्ष 2022 में किशोरी लाल वैद्य जी को उनकी उल्लेखनीय साहित्य व लेखन सेवाओं के लिए सरदार शोभा सिंह कला पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अस्वस्थ होने के कारण यह पुरस्कार प्राप्त करने के लिए वैद्य जी स्वयं कला ग्राम अंदरेटा ना जा सके और यह प्रतिष्ठित सम्मान उनकी बेटी सोनिया व दामाद गजेंद्र बहल ने प्राप्त किया।पुरस्कार के तौर पर स्मृति चिह्न, शाल, टोपी व 21 हजार रूपए की राशि सम्मान के तौर पर दी गई।शोभा सिंह मैमोरियल आर्ट सोसायटी द्वारा देश प्रदेश की जानी मानी हस्तियों को उनके द्वारा विभिन्न कला क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाता है। मंडी के किशोरी लाल वैद्य जी को यह सम्मान मिलना नगर वासियों,समस्त साहित्य जन व उनके नाते रिश्तेदारों के लिए गौरव की बात हैं। 


पारिवारिक एल्बम में कैद सुनहरी यादें:


Read More

Reviews Add your Review / Suggestion

Back to Home