मंडी में सिनेमा संस्कृति के जनक-श्री रोमेश चंद्र
Posted on 22-07-2023 06:06 PM

                                     स्व. श्री रोमेश चंद्र जी

कुछ लोग अपने समय से आगे की सोचते हैं उन्हें भविष्य
दृष्टा कहते हैं। ऐसी सोच वाली एक शख्सियत मंडी नगर में हुआ करती थी जिन्हें हम सभी रमेश जी के नाम से जानते हैं।थोड़ा सा मोटापा लिए, गोलमटोल चेहरा, रोबीले व्यक्तित्व के धनी, हंसते मुस्कुराते अपने पराए सभी से बात करते हुए बाजार में चलते थे, तो ऐसा नहीं हो सकता कि वह आराम से जा सकें। सबसे हाय, हेलो, नमस्ते,अभिवादन भी साथ साथ ही चलता था।

             भूतनाथ बाजार के अंतिम छोर पर वजीर हाउस के सामने एक बहुत बड़ा चौकी नुमा पुराना भवन है जिसे उच्ची परौड़ या 'करतारा रा घर' के नाम से ज्यादा जानते हैं। इस घर में 10 जून 1924 को काहन सिंह के घर में रमेश जी का जन्म हुआ। माता जी को पुराने लोग अभी भी घुग्घी महात्मी के नाम से याद करते हैं।

पुश्तैनी मकान

अपने ननिहाल वजीर हाउस में उनका काफी बचपन बीता।स्थानीय बिजै हाई स्कूल में मैट्रिक करके बाहर पढ़ने गए लेकिन मन नहीं लगा और मंडी कॉलेज में प्रवेश लिया लेकिन बीए कंप्लीट नहीं हो पाई।

 भारत अभी आजाद नहीं हुआ था। उस समय सिनेमा हॉल चलाना और उसके बारे में सोच रखना भी बहुत बड़ी बात थी।जहां आजकल बीएसएनएल का टेलिफोन एक्सचेंज है उससे आगे लाल एंड संस से लेकर के एचडीएफसी वाले भूभाग में टेंट लगा होता था और उसमें दिखाई जाती थी फिल्में।टेंट और सिनेमा का मालिक थे रमेश चंद्रजी। लिखते रोमेश चंद्र थे लेकिन व्यवहारिकता में रोजाना जिंदगी में कपूर साथ लगाना पसंद नहीं था।केवल रमेश कहलाना पसंद करते थे। मनोरंजन का और कोई साधन मंडी में नहीं हुआ करता था। ऐसे में शहर में सिनेमा हॉल जैसे बड़े पर्दे पर फिल्म देखने को मिले तो भला इस का जादू कभी सिर से उतर सकता है। जी नहीं! उल्टे सर चढ़कर बोलता था। आसपास के गांव के सिनेमा प्रेमी तो अंतिम शो देख कर वापस पैदल देर रात घर पहुंचते थे।


कृष्णा टॉकीज को जाने वाला गेट।

 टेंट के स्थान पर जल्दी ही वर्ष 1948 में सिनेमा हाल का भवन बना और कृष्ण भक्त होने के नाते नाम रखा गया 'कृष्णा टॉकीज'। सिनेमा हॉल के बाहर दोनों कतारों में बनी दुकानों वाले बाजार को उस समय सिनेमा रोड कहकर पुकारा जाता था। पुरानी नामों को किसी शहर में धरोहर की तरह याद किया जाता है लेकिन यह दुखद है कि मंडी नगर के इस बाजार के नाम को बाद में कब बदल दिया पता ही नहीं चला।

उस वक्त मंडी में एसीसी सीमेंट की डिस्ट्रीब्यूटरशिप इन्हीं के पास थी। क्योंकि रमेश जी का समाज सेवा की तरफ भी बहुत रुझान था और समाज में नगर के सभी प्रबुद्ध लोगों से उनका उठना बैठना होता था। मंडी राजा द्वारा स्थापित जिमखाना क्लब के वह प्रधान भी रहे।तथा इसके अलावा रोटरी क्लब को स्थापित करके आगे बढ़ाने का श्रेय उन्हीं को जाता है। मंडी के अलावा उन्होंने धर्मशाला,कुल्लू और उना में भी रोटरी क्लब की स्थापना कराई और समाज के प्रबुद्ध लोगों को समाज सेवा करने के लिए बहुत प्रेरित किया। जिसके परिणाम स्वरुप आज रोटरी क्लब

ने अपनी जड़ें सामाजिक सेवा में गहराई तक जमा रखी हैं। मण्डी में महिलाओं के लिए इन्नरव्हील और युवाओं के लिए रोटरेक्ट क्लब की स्थापना कराई। उस समय जब महिलाएं इस क्षेत्र में खुलकर सामने नहीं आती थी,उन्होंने प्रबुद्ध घरों की महिलाओं को इन्नरव्हील में आने के लिए प्रेरित किया और उसी तरह युवाओं को रोटरेक्ट क्लब का सदस्य बनाया। आज के रोटरी डिस्ट्रिक्ट मंडी 3070 के समस्त रोटेरियन को यह जानकर गर्व होगा कि रमेश जी Paul Herris Fellow Awardee रहे हैं।

उनके खास दोस्तों में डॉ के.सी. पांडेय व प्रसिद्ध ठेकेदार गुलाबचंद बहल के नाम गिनाए जा सकते हैं। 

शादी का फोटो

वर्ष 1944 में उनकी निरुपमा जी से शादी हुई और 1958 में उन्होंने मंडी के टीका साहब से जमीन का प्लॉट खरीदा। यदि आप आज के यस बैंक से थोड़ा आगे जेल रोड की ओर चलें तो आपको दाई ओर एक कोठी दिखाई देती है जिसमें बाई और रोमेश चंद्र की नेम प्लेट और घर का नाम 'नाइटिंगेल' लिखा नजर आएगा। पुस्तक व प्रकृति प्रेमी रमेश जी असहाय लोगों की मदद करने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे।  




    

घर के गेट पर लगी नेम प्लेट

टारना की पहाड़ी पर जहां अब दूरदर्शन का अपलिंकिंग केंद्र है वहां पर एक रेस्ट हाउस हुआ करता था। मंडी राजा ने एक ट्रस्ट के द्वारा इसकी स्थापना की थी और रमेश जी को इसका ट्रस्टी बनाया था। बाद में हिमाचल सरकार ने डीसी मंडी के माध्यम से इसे अपने अधीन कर लिया था।

उन्होंने टारना में अमृत कौर पार्क में वेद मंदिर बनवाकर वहां परम श्रद्धेय श्री गंगेश्वर महाराज जी से भागवत सप्ताह कराया तथा हाथी पर चारों वेदों को रखकर मंडी नगर में भव्य जुलूस निकालकर वेद मंदिर तक ले जाकर उन्हें स्थापित कराया जिसे मण्डी वासी अभी भी याद करते हैं।

पंचकूला में रह रही उनकी बेटी मीना भल्ला ने बताया कि,"टारना मंदिर में जब आप परिक्रमा करने लगते हैं तो चारों तरफ बाहर की ओर आपको बहुत ही सुंदर विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां दिखाई देती हैं और यह सुंदर पेंटिंग कराने के लिए बाजी ने बाहर से उच्च कोटि के कलाकार बुलाकर उनके माध्यम से यह पेंटिंग बनवाई थी तथा मंदिर में मकराना मार्बल अपनी देखरेख में डलवाया और धार्मिक कार्य में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते रहते थे"। पुरानी बातों को याद करते हुए आगे मीना जी कहती हैं कि,"उस समय मंडी में धर्म प्रेमी महावीर डीसी बहुत ही प्रसिद्ध प्रशासक नियुक्त थे जिन्होंने श्री श्यामा काली मंदिर के शिखर पर कलश लगाया था और लगाते समय गिरे थे लेकिन उन्हें खरोंच तक नहीं आई।शहर में कार्यरत सभी उच्चाधिकारियों से व प्रबुद्ध जनों से पिताजी जी (बाजी) का विशेष मेल मिलाप रहता था और मंडी राजा के तो वो विशेष कृपा पात्र थे तथा उनका एक सहायक खिंदु उन्हें अक्सर बुलाने के लिए मंडी राजा की तरफ से भेजा जाता था और घंटों बैठकर राजा साहब और पिताजी आपस में गपशप किया करते थे।"

बेटी मीना भल्ला के परिवार के साथ।

मंडी में मनोरंजन को सिनेमा के माध्यम से एक नया आयाम देने वाले इस शख्स ने 28 जनवरी 1989 को इस दुनिया से प्रस्थान किया। बेटी मीना भल्ला पिताजी की पुरानी यादों को बताते हुए भावुक हो जाती हैं और कहती हैं कि,"वैसे देखने में वह बहुत ही कड़क व गुस्सैल स्वभाव के थे लेकिन उनका मन बहुत ही कोमल व दूसरों के प्रति हमदर्दी वाला होता था। उनकी मृत्यु के पश्चात कई ऐसे युवा हमसे मिले जिन्होंने बताया कि किस तरह रमेश जी ने उनकी पढ़ाई मे आर्थिक सहायता देकर उन्हें स्थापित किया,जिस वजह से वह समाज में आगे बढ़ सके।"

 मीना भल्ला का पारिवारिक फोटो

मीना जी की हार्दिक इच्छा है कि अगले वर्ष 2024 में पिताजी की सौंवीं जन्मतिथि पर मण्डी में कोई विशेष कार्यक्रम उनकी याद में किया जाए जिसके लिए वह कुछ योजना बना रही है।


   


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रोटेरियन श्री रोमेश चंद्र जी को ऊना रोटरी क्लब के प्रधान डॉक्टर ओम प्रकाश शर्मा (सी.एम.ओ.) सम्मानित करते हुए। फोटो:अनिल शर्मा (छुछू)

सिनेमा की महत्वपूर्ण भूमिका है जो हमें न केवल मनोरंजन देता है बल्कि अपनी संस्कृति और परंपराओं को दर्शाकर दूसरे लोगों के संघर्षों और सफलताओं के बारे में जानने व सीखने का मौका देता है। इसलिए छोटे से नगर में सिनेमा जैसे मुश्किल भरे मनोरंजन के साधन को कृष्णा टॉकीज के माध्यम से पहुंचाने के लिए स्व.रोमेश चंद्र जी हमेशा याद किए जाते रहेंगे।

(यह पोस्ट मीना भल्ला जी से प्राप्त जानकारी के आधार पर तैयार की गई है। कृष्णा टॉकीज के बारे में पोस्ट पढ़ने के लिए मंडीपीडिया से जुड़े रहें।

Vinod Behl/mandipedia.com






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Reviews Add your Review / Suggestion

Suresh Sharma
22-07-2023 08:19 PM
Very old information of the Mandi town.
Banita Kapoor Mahendru
22-07-2023 08:41 PM
After reading this artical, I missed those golden days, great job u have opt, lots of best wishes 💐👏
Bhupinder vaidya
22-07-2023 09:15 PM
Best covering.
Dr. Chiranjit Parmar
23-07-2023 01:27 PM
अनिल कुमार प्रधान
02-08-2023 09:38 AM
मंडी की विरासत के बारे में हमारे पुराने कृष्णा टॉकीज के बारे में जानकारी देने के लिए बहल साहब आपका आभार
Sanjeev vaidya
29-08-2023 09:57 AM
पुराने साम्य पुराने समय में पहुँचा दिया अपने बहुत बहुत धन्यवाद I नाइस effort
Sanjeev vaidya
29-08-2023 09:57 AM
पुराने साम्य पुराने समय में पहुँचा दिया अपने बहुत बहुत धन्यवाद I नाइस effort
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