मण्डी रियासत में स्वास्थ्य सेवाएं व चिकित्सक भाग-1
Posted on 31-07-2023 09:31 AM

   राजा बिजै सेन के राज में स्वास्थ्य सेवाएं:

12 अक्टूबर 1866 को Sir Douglas Forsyth ने राजा बिजै सेन के बालिग होने पर उन्हें 'रुलिंग प्रिंस' की शक्तियां प्रदान की थी। इस खुशी के अवसर पर राजा बिजै सेन ने जनहित के कार्यों के लिए ₹1,00,000 दिया जिसमें अस्पताल, स्कूल व पोस्ट ऑफिस के निर्माण कार्य प्रमुख थे।


राजा बिजै सेन-मण्डी स्टेट 

राजा बिजै सेन के किसी पर्सनल फिजिशियन के बारे में कहीं पढ़ने को नहीं मिलता। उस समय हालात ऐसे थे कि लोग आयुर्वेदिक पद्धति के ऊपर ही निर्भर रहते थे और राज परिवार में भी स्थानीय स्तर पर राज बैद हुआ करते थे।

राजा बिजै सेन ने मण्डी अस्पताल का निर्माण कराया उस समय इसमें सुविधाएं नाममात्र की होती थी और इसका स्वरूप भी बहुत छोटा था।

मण्डी गजेटियर में संदर्भ मिलता है कि नगर के मध्य में भी लोगों को स्वास्थ्य सेवा देने के लिए व्यवस्था की गई थी। शायद यह बात केसरी बंगला के संदर्भ में लिखी गई हो क्योंकि वहां पर उस खाली जगह पर डिस्पेंसरी बनने की संभावना ज्यादा प्रतीत होती है। राजा बिजै सेन के कार्यकाल में ही यह डिस्पेंसरी खुली थी जिसमें आयुर्वेदिक पद्धति के द्वारा ही लोगों का इलाज किया जाता था। क्योंकि नगर के कई बैद पेशे से जुड़े लोगों के नाम हमें मिले जो काफी प्रसिद्ध थे और पारंपरिक तरीके से लोगों का इलाज किया करते थे।

इतिहास में राजबैद विद्यासागर का उल्लेख मिलता है जिन्होंने मृत्युपर्यंत सन् 1918 तक राज वैद की भूमिका मण्डी रियासत में बहुत ही प्रभावशाली ढंग से निभाई थी और प्रतिवर्ष लगभग 5000 मरीजों का इलाज आयुर्वेदिक पद्धति से किया करते थे। उनकी मृत्यु पर मण्डी रियासत में शोक मनाया गया था क्योंकि वह लोगों में बहुत ही लोकप्रिय वैद के रूप में प्रतिष्ठित थे। विद्यासागर वैद ने तीन राजाओं के राजकाल में अपनी सेवाएं दी थीं। राजा बिजै सेन के राज काल सन् 1851 से 1902 तक फिर राजा भिवानी सेन के समय सन् 1903 से 2012 तक और राजा जोगिंदर सेन के राजकाल के दरमियान सन् 1918 तक अपनी सेवाएं देखकर इतिहास में अपने लिए विशिष्ट पहचान छोड़कर इस दुनिया से प्रस्थान करके गए।

उस समय की परिस्थितियों के अनुसार नगर का कोई भी छात्र बाहर से डॉक्टर की पढ़ाई करके तब तक रियासत में नहीं आया था।

राजा जोगिंदर सेन द्वारा स्वास्थ्य सेवाएं व एलोपैथिक चिकित्सक: 


बुजुर्ग लोग बताते हैं कि मण्डी के राजा जोगिंदर सेन के सबसे पहले पर्सनल चिकित्सक डॉक्टर शिवलाल हुआ करते थे जो मण्डी रियासत से बाहर गुजरांवाला पंजाब पाकिस्तान के रहने वाले थे।


उनके बाद मण्डी स्कूल बाजार के पास रहने वाले डॉक्टर नारायणदास राजा साहब के चिकित्सक बने। इन दोनों चिकित्सकों ने बाद में अस्पताल बनने पर वहां पर भी अपनी सेवाएं दी थी।

        डॉ नारायण दास

इनके अलावा आयुर्वेद में पारंगत वैद भी राज परिवार को आवश्यक स्वास्थ्य संबंधी परामर्श देते रहते थे। जिनमें राज वैद विद्यासागर प्रमुख थे जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है और सन् 1918 तक यह भूमिका इन्होंने कुशलतापूर्वक निभाई थी। 

राजा भवानी सेन ने अपने कार्यकाल में राजमहल के बाहर बहुत बड़े खुले मैदान के मध्य में बंगले का निर्माण कराया था। क्योंकि यह निर्माण राजा द्वारा कराया गया था जिसे अंग्रेजी में क्राउन के समकक्ष हिंदी में केसरी कहा जाता था इसलिए इस कॉटेज नुमा बंग्लो के नाम पर इस सारे स्थान का नाम केसरी बंगला पड़ा जो आज भी इसी नाम से जाना जाता है।अलबता अब वह बंग्लो मौका पर नहीं है और यहां पर एक बहुत बड़ी पेड पार्किंग व्यवसायिक स्तर पर कार्य कर रही है।

राजा जोगिंदर सेन ने अपने एडीसी कम प्राइवेट सचिव कैप्टन इंद्र सेन को केसरी बंग्लो रहने के लिए सन् 1930 में आवंटित किया था जो वर्ष 1938 तक वहां सपरिवार रहे।

मंडी नगर के खत्री समुदाय से प्रथम डॉक्टर









मंडी नगर में जन्मे फ्लामी परिवार से संबंध रखने वाले डॉक्टर लक्ष्मण दास को नगर का पहला डॉक्टर होने का गौरव हासिल है। इनका पुश्तैनी मकान पलाक्खा बाजार में बेली हलवाई  की दुकान के सामने है।

मंडी अस्पताल का विस्तार:

राजा जोगिंदर सेन के राज काल में मंडी अस्पताल का विस्तारीकरण व्यवस्थित तरीके से किया गया था। इंग्लैंड के सम्राट एडवर्ड सप्तम के नाम से मंडी अस्पताल का नामकरण किया गया था।

एक्स-रे प्लांट

मंडी के राजा जोगिंदर सेन अपनी प्रजा के लिए हमेशा सीमित साधनों के बावजूद विकास की दृष्टि रखते थे और वर्ष1933 में इंग्लैंड से एक्स-रे का प्लांट मंगवा कर अस्पताल में स्थापित कराया था जो उस समय शायद उत्तरी भारत में  प्रथम एक्स-रे प्लांट था,ऐसा बताया जाता है।


भारत के स्वतंत्र होने पर मंडी रियासत के भारत गणराज्य में विलय होने पर डॉ.नारायण दास मंडी के प्रथम सिविल सर्जन नियुक्त हुए। जो बाद में मंडी जिला के प्रथम डिस्ट्रिक्ट मेडिकल ऑफीसर बने।उन दिनों मुख्य चिकित्सा अधिकारी की पोस्ट नहीं होती थी और इस पद का नामकरण बाद में हुआ था।

दो मंजिला लकड़ी के भवन में नीचे 6 कमरों का प्राइवेट वार्ड था और ऊपर जनाना वार्ड था। इसे माई साहब का वार्ड कह कर के पुकारा जाता था।इसके अलावा कई अन्य वार्ड भी मंडी राजा द्वारा बनवाए गए थे।

उस समय आज की तरह विशेष बीमारियों के आधार पर अलग-अलग विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं होते थे तथा अधिकांश भार ओपीडी के ऊपर ही रहता था।

 केसरी बंगले में हेल्थ सेंटर

      केसरी बंगला मण्डी

केसरी बंगले को कैप्टन इंद्रसेन ने मंगवाई में नया भवन मिलने पर वर्ष 1938 में खाली कर दिया था और इस बंग्लो (जिसे नगरवासी केसरी बंगला नाम से पुकारते चले आ रहे हैं) में राजा जोगिंदर सेन ने नगर की महिला मरीजों के लिए विशेष तौर पर यहां  हेल्थ सेंटर वर्ष 1939 में खुलवाया था। साथ ही  यहां पर मिडवाइफ ट्रेनिंग सेंटर भी खोला गया था।

रियासत काल की प्रथम हेल्थ विजिटर श्रीमती कृष्णा धवन यहां पर नियुक्त हुई जिन्होंने वर्ष 1948 तक सेवाएं दी। आप मण्डी के प्रसिद्ध अश्वनी रेडियो कंपनी के परिवार से संबंध रखती हैं।

श्रीमती कृष्णा धवन-रियासत की प्रथम हैल्थ विजिटर।

तत्पश्चात मंडी रियासत का स्वतंत्र भारत में विलय होने पर समखेतर मुहल्ला निवासी श्रीमती कालिंद्री कपूर नगर की प्रथम महिला हेल्थ विजिटर यहां पर नियुक्त हुई जिनके सुपुत्र मंडी के प्रसिद्ध चाइल्ड विशेषज्ञ डॉ धर्मेंद्र कपूर हैं।

श्रीमती कालिंद्री कपूर-  मण्डी अस्पताल की प्रथम महिला हैल्थ विजिटर।

हिमांचल सरकार के आदेश से हेल्थ सेंटर वर्ष 1948 के बाद खोला गया था। उस समय की सामाजिक परिस्थितियां ऐसी थी कि गर्भवती महिलाएं अस्पताल जाना शर्मनाक समझती थी और उनके लिए विशेष तौर पर स्वास्थ्य विभाग ने हेल्थ सेंटर खुलवा कर यह व्यवस्था की थी कि यहां पर सप्ताह में एक दिन बुधवार को अस्पताल से महिला हेल्थ विजिटर आकर के गर्भवती महिलाओं का चेकअप करती थी। उन्हें दवाईयां और भोजन संबंधी मार्गदर्शन दिया जाता था तथा पाउडर के दूध के डिब्बे बांटे जाते थे व महिला मरीजों द्वारा प्रजनन संबंधी जिज्ञासा और समस्याओं के बारे में जागरूक किया जाता था।

बाद में महिला मरीजों की तादाद बढ़ने पर इस सेंटर को बंद करके जिला अस्पताल मंडी में स्थानांतरित कर दिया गया था। निसंदेह हेल्थ सेंटर की भूमिका गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य रक्षण व जागरूकता बढ़ाने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण रही थी।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस मंडलीय चिकित्सालय:

(जोनल अस्पताल)


कालांतर में जनसंख्या बढ़ने पर मरीजों का दबाव जिला अस्पताल पर बढ़ता गया फिर सरकार ने जिला अस्पताल को अपग्रेड करके इसे जोनल अस्पताल के रूप में अधिसूचित कर दिया। जिसके फलस्वरूप इसमें कई प्रकार के विशेषज्ञ डॉक्टर, नर्स व कर्मचारियों की संख्या में बहुत ईजाफा हुआ तथा कई नए भवनों का निर्माण भी किया गया।

 प्रसिद्ध डॉक्टर श्री एसएस गुलेरिया (सी.एम.ओ.) की एक्सीडेंट में मृत्यु होने पर जोनल अस्पताल के द्वार का नाम 'श्री एस.एस. गुलेरिया स्मृति द्वार' रखा गया है।

विनोदबहल/मंडीपीडिया/2023

मण्डी स्कूल के कौन-2 छात्र बने डॉक्टर ? जानने के लिए मंडीपीडिया से जुड़े रहें।


 

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Reviews Add your Review / Suggestion

Umesh Kapur
31-07-2023 10:18 AM
Meenakshi Kapoor
31-07-2023 10:19 AM
बहुत अच्छी जानकारी
Tejinder
31-07-2023 10:43 AM
For your hard work in researching history of Mandi and providing valuable information to young generation , we people of Mandi are thankful to your efforts.
Tejinder
31-07-2023 10:44 AM
For your hard work in researching history of Mandi and providing valuable information to young generation , we people of Mandi are thankful to your efforts.
HARISH KUMAR
31-07-2023 11:57 AM
The article so much valuable and helpful to know the Mandi riyast works under the kingdom . And photos collection were impressive by अनिल Sharma (chhuchhu) ji great information about city hospital.
Subhash Chander Sharma
31-07-2023 12:34 PM
Subhash Chander Sharma
31-07-2023 12:40 PM
I was born in Mandi Chhotti Kashi on September 10, 1946 .My father's name is late Shri Munshi Ram jee.Our residence as my late respected parents told me in Moti Bazar Mandi in the house of late Shri Bhagi Rath Patwari jee ..I will be giving a detailed note of my late respected father's service in Mandi and outside a matter of pride for all fellow citizens of Mandi .
Datender Kapoor
31-07-2023 12:44 PM
I LIKE IT....great informations
Rajeev Bahl
31-07-2023 01:03 PM
Rajiv Kapoor
31-07-2023 02:03 PM
Thanks for your efforts keep it up
Vijay kapoor
31-07-2023 02:27 PM
Shriram Vishwnath Bhardwaj
31-07-2023 04:29 PM
Dr. Narayan Das born in 1904 and died in 1974 belonged to Sarkaghat (Sandhol area). His successive generations (grandsons) are living at School Bazaar of Mandi MC town.
Ajay sehgal
01-08-2023 03:07 AM
Useful information .U r doing good job. Keep it up..
Harsh Paul
01-08-2023 09:27 AM
Mahesh puri
02-08-2023 06:17 AM
Mahesh puri
02-08-2023 06:17 AM
अनिल कुमार शर्मा
03-08-2023 02:48 PM
ऐतिहासिक जानकारी के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद विनोद जी
PRADEEP BHARDWAJ
03-08-2023 04:07 PM
Passed my matriculation from BIJOY HIGH SCHOOL MANDI in the year 1971, those inseparable memories of a teenager are carved and imbibed so deep in memory that after reading this beautifully articulated piece of information, I went back in the memory lane. Coming back to Mandi shortly, now nothing can stop me. Thanks a ton Chhichoo.
Neeraj Sharma
03-08-2023 04:14 PM
बहुत अच्छी जानकारी आपने इकट्ठी की है आपने । hats off sir
Anita puri
03-08-2023 04:58 PM
Nishi Tandon
04-08-2023 04:35 AM
It is a difficult job to collect old historical infomation , you all are doing wonderful job by bringing Mandi history in public domain . Congratulations to all.
Mrs.Vijay Thakur
04-08-2023 07:55 AM
I sincerely express my gratitude and profound thankfulness for the dedicated effort you put into researching and sharing information about my late father-in-Law, Dr. Naraindas. His academic brilliance during his school days caught the attention of Raja Jee of Mandi, who graciously sponsored his higher studies at Medical College Lahore. Subsequently, he went on to become the first civil surgeon of HP state, leaving a lasting legacy. Dr. Naraindas's benevolence extended far beyond his professional duties, as he was an invaluable source of support and aid to the people in his community. His passion for helping others was an inspiration to his younger son, who followed in his footsteps, becoming a doctor and serving at the Government Hospital in Kullu. Eventually, he retired as the Chief Medical Officer (CMO) in Keylong. One of the cherished memories of my father-in-law is how he wholeheartedly encouraged and assisted young doctors from Mandi and Sarkaghat in pursuing successful careers. His mentorship undoubtedly played a pivotal role in shaping their paths to excellence. - Mrs.Vijay Thakur w/o Late Dr.Haripal Thakur Principal-Oakwood School Mandi
Anildhawan
05-08-2023 05:58 AM
Great information
Anildhawan
05-08-2023 05:58 AM
Great information
Vijai kapur
05-08-2023 01:52 PM
In this busy world when everyone is busy. It's a great thing to research old history of Mandi.It will provide inspiration to younger generation. Thanks all.
Shiv Kumar Surya
06-08-2023 07:14 AM
मंडी के ऐतिहासिक पक्ष को उजागर करने में आपके भागीरथी प्रयत्न प्रतिबिंबित हैं। उपयोगी जानकारी के लिए धन्यवाद। अत्यंत प्रशंसनीय कार्य।
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