डॉक्टर चिरंजीत परमार-फिल्म आनंद के जीवंत पात्र
Posted on 13-08-2023 10:12 AM

                                        डॉक्टर चिरंजीत परमार

                  फल वैज्ञानिक -शोधकर्ता- लेखक व मण्डीपीडिया के प्रेरक।


डॉक्टर चिरंजीत परमार फल वैज्ञानिक -शोधकर्ता- लेखक व मण्डीपीडिया के प्रेरक। मण्डी नगर में जेल रोड को जाते समय रास्ते में बाईं ओर एक खूबसूरत कॉटेज नजर आती है बाहर नेम प्लेट पर लिखा है-डाक्टर चिरंजीत परमार। यहां पर रहते हैं अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त फल वैज्ञानिक, शोधकर्ता व लेखक।वैसे आप किसी परिचय के मोहताज नहीं, फिर भी आपको इनके व्यक्तित्व व जिंदगी जीने के तरीके से रूबरू कराने की कोशिश करते हैं।1939 में जन्मे डॉ. चिरंजीत परमार जी ने स्थानीय बिजै हाई स्कूल से दसवीं की परीक्षा पास की व कई विद्या संस्थानों में पढ़कर फल विज्ञान में पी०एच०डी० की।

                 अपने 54 वर्ष के कार्यकाल में इन्होंने हिमाचल सरकार, बहुत से भारतीय तथा विदेशी विश्वविद्यालय, और कई देशी और विदेशी कंपनियों के लिए कार्य किया और दुनिया के लगभग सभी भौगोलिक भागों में कार्य कर चुके हैं। ये अपने काम के लिए सिलसिले में दुनिया के सभी प्रायद्वीपों के 34 देशों की यात्रा कर चुके हैं तथा स्वतंत्र परामर्शदाता के रूप में भी बहुत वर्षों तक कार्य किया हैं। डॉ० परमार भारत के पहले फल वैज्ञानिक हैं जिनको पहाड़ों पर पाए जाने वाले जंगली फलों के विशेषज्ञ के तौर पर जाना जाता है। अंतर्राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं व भारत के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में उनके लेख छपते रहे हैं।साप्ताहिक कार्टून स्ट्रिप "फूट फैक्ट्स" तीन वर्ष तक लगातार छपती रही और यह बहुत ही चाव से पढ़ी जाती थी। इसी तरह हिन्दुस्तान टाईम्ज के साप्ताहिक पृष्ठ "एच टी एग्रीकल्चर" में इनके लेख नियमित रूप से अढ़ाई साल तक छपते रहे  


डॉ. परमार जी ने दुनिया में पाए जाने वाले तमाम भोज्य फलों के ऑन लाइन विश्वकोष "फ्रूटीपीडीया" का संकलन किया है। इस विश्वकोष में दुनिया के लगभग 750 से ज्यादा विभिन्न फलों की जानकारी उपलब्ध है इस विश्वकोष को 30 लाख से अधिक लोग देख चुके हैं।दक्षिण भारत में सेब को सफलतापूर्वक उगाकर आपको 'ऐप्पल मैन ऑफ कर्नाटक' भी कहा जाता है   




 

आईआईटी मंडी के बोटैनिकल गार्डन में डॉक्टर परमार अपनी टीम के साथ

डॉ. परमार ने आई.आई.टी.मण्डी के कमांद कैम्पस में बतौर कंसलटेंट अपनी सेवाएं देकर 'बोटैनिकल गार्डेन' लगवाया है जिसमें अन्य किस्मों के पेड़ों के साथ पहली बार काफल, दाडू, चार किस्मों के आक्खे और लिंगड़, तरडी, दरेघल जैसे लोकप्रिय फल और सब्जियों के ब्लॉक भी लगवाए हैं ताकि नए लोग और युवक भी इन पौधों से परिचित हो सकें। पुस्तक व धरोहर प्रेमी, संगीत के शौकीन तथा बहु आयामी व्यक्तित्व के धनी डॉक्टर परमार जी के पास पुस्तकों का खजाना भरा पड़ा है। लेकिन अब अस्वस्थ होने के कारण तथा आयु के इस पड़ाव पर आप चाहते हैं कि इन पुस्तकों का सही जगह पर सही तरीके से प्रयोग हो। क्योंकि घर में अगली पीढ़ी में कोई इनका उपयोग करने वाला नहीं है इसलिए समय रहते मण्डी जिले के थुनाग में वानिकी और बागवानी कॉलेज को 300 किताबें और जिला जेल की लाइब्रेरी को अलमारी सहित 200 पुस्तक दान की हैं।

                कई पुरस्कारों से सम्मानित डॉ. परमार गंभीर बीमारी से ग्रसित होने के बावजूद अभी भी सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव रहते हैं और रोजाना कंप्यूटर के पास बैठकर कुछ ना कुछ जानकारी शेयर करते रहते हैं। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का पता लगने पर आपने डॉक्टर को कहा था कि लगता है की ,"फिल्म आनंद की स्टोरी शुरू हो गई है।" आपने इस पर तीन ब्लॉग लिख डाले जिसे इसलिए बनाया गया था कि गंभीर बीमारियों से ग्रस्त मरीज को प्रेरणा मिले की जिंदगी कैसे की जाती है? 34 देशों में भ्रमण के द्वारा लिया गया अनुभव अब पुस्तक रूप में भी उपलब्ध है जो कि थोड़े ही समय में बेस्टसेलर की लिस्ट में आ गई थी।इस रोचक पुस्तक को पढ़कर सचमुच मजा आ जाता है। इसमें आपको कई देशों की आर्थिक, सामाजिक,शिक्षा, पर्यटन,व्यापार, कृषकों के अनुभव व कृषि की नई नई जानकारीओं से संबंधित पहलू पढ़ने को मिलते हैं।


                 एक इंटरव्यू में डॉक्टर परमार ने कहा था कि -उनके पास दुर्लभ पुस्तकों का खजाना है। उसमें सीएसआईआर आफ वेल्थ आफ इंडिया, फ्लोरा आफ ब्रिटिश इंडिया बाया हुकर, ए डिक्शनरी आफ दी इकोनोमिक प्रोडेक्टस आफ इंडिया जॉर्ज वाट द्वारा, इंडियन मेडिसिनल प्लांटस द्वारा जॉर्ज वाट समेत कई अन्य मूल्यावान किताबें संग्रह में हैं। उन्होंने कहा कि दो लाख से अधिक मूल्य की यह पुस्तकें वह निशुल्क में इन विषय से जुड़े लोगों को देना चाहते हैं ताकि इनका सही उपयोग हो। 







        


  सुंदरनगर जाते समय नौलक्खा के पास शिकारी माता मंदिर के साथ ही सरस्वती माता का एक भव्य मंदिर दाईं ओर नजर आता है जिसका निर्माण डॉक्टर परमार ने कराकर वहां पर सरस्वती माता की बहुत ही भव्य मूर्ति की स्थापना कराई थी जो हिमांचल प्रदेश में शायद इकलौता मंदिर है। इसके अलावा संगीत सदन मंडी तथा अपने प्रिय बिजै हाई स्कूल को सरस्वती माता की मूर्ति भेंट कि हैं। विशेष अवसरों पर डा. परमार अपने सभी

प्रशंसकों व विजिटर्स को माता सरस्वती की मूर्ति व फ्रूट की देवी पामोना की सुंदर फोटो फ्रेम की हुई भेंट करना नहीं भूलते।

          इसी वर्ष डा. परमार जी ने वेबसाइट बनाने के लिए हमें प्रेरित किया जिसका परिणाम है यह मंडीपीडिया, जिस पर आप अभीआलेख पढ रहे हैं। और प्रथम जून,2023 को इसको आपके ही हाथों लॉन्च कराया।



प्रेस वार्ता में डॉक्टर परमार

       इस अवसर पर प्रेस वार्ता में आपने कहा था की ,"मंडीपीडिया जैसी वेबसाइट हर एक जिले में होनी चाहिए ताकि वहां की स्थानीय संस्कृति व उसके विभिन्न आयाम लोगों को पता चले और विशेष कर आज की युवा पीढ़ी इससे लाभान्वित हो सके।" अभी भी डॉक्टर परमार समय पर हमें इस वेबसाइट को और अच्छा बनाने के लिए मार्गदर्शन देते रहते हैं। इसके अलावा वानिकी से संबंधित शोधकर्ताओं को भी परमार जी मार्गदर्शन करते रहते हैं और उनके लिए प्रेरणा बने हुए हैं। मुझे एक वर्ष में कई बार परमार साहब से मिलने का मौका मिला। आपके कमरे में दुनिया भर के मोमेंटोस रखे हुए हैं जिनके साथ उनकी यादें जुड़ी हैं। और एक-एक की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए उसकी पृष्ठभूमि और उसका इतिहास बताते हैं और उस रोचक जानकारी को सुनने में इतना आनंद आता है की समय का पता ही नहीं चलता। और इच्छा करती है कि डॉक्टर साहब के पास घंटो बैठे रहें।

             'मेरे अपने' 'ओल्ड ब्वायज बैंड' तथा मंडयाली महोत्सव के कार्यक्रमों में परमार साहब नियमित श्रोता रहे हैं और पूरा कार्यक्रम देखकर आयोजकों को प्रेरित करना कभी नहीं भूलते थे। डॉक्टर परमार जी के बारे में बताने के लिए कई पन्ने भी कम पड़ जाएंगे। अंत में कुछ फिल्मों की बात करें तो किसी अखबार में दिए एक इंटरव्यू में पूछने पर कि,"आप कंगना रनौत के बॉलीवुड करियर के बारे में क्या सोचते हैं, क्योंकि वह भी मंडी से हैं?" तो आपका जवाब था ,"मुझे यह देखकर खुशी हुई कि मध्यवर्गीय परिवारों से ताल्लुक रखने वाली कंगना और प्रीति जिंटा (जो हिमाचल प्रदेश से भी हैं) को फिल्मों में बड़ा ब्रेक मिला। कंगना की फिल्म क्वीन देखकर मुझे यूरोप के यूथ हॉस्टल में रहने की यादें ताजा हो गईं। मैंने इसके बारे में ब्लॉग भी किया।" मण्डीपीडिया आपके स्वास्थ्य लाभ की कामना करता है।विनोद बहल-मंडीपीडिया/2023








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Anil Sharma
13-08-2023 11:16 AM
आदरणीय बहल जी आज आपने अंतरराष्ट्रीय फल वैज्ञानिक जो कि विजय हाई स्कूल मंडी के छात्र रहे हैं उनके बारे में आपने पूर्ण जानकारी बहुत ही सुंदर शब्दों में व्याख्या करके हमारे मंडी शहर के अंतरराष्ट्रीय फल वैज्ञानिक को सम्मान दिया आपका कोटि-कोटि धन्यवाद भविष्य में भी हम आपसे निवेदन करते हैं कि इस तरह के और महान विभूतियों के बारे में लिखते रहें और समाज को जानकारी देते हैं आपको साधुवाद
Harsh Paul
13-08-2023 11:46 AM
बहुत साधु बाद इतनी अच्छी जानकारी देने के लिए, श्री परमार जी को इनके उल्लेखनीय उपलब्धियों को लेकर हिमाचल और भारतवर्ष के किसी बड़े पुरस्कार से सम्मानित किया जाना चाहिए
Ajay sehgal
15-12-2023 04:21 PM
Ajay sehgal
15-12-2023 04:21 PM
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