भटाबरू छोटी काशी मंडी का एक ऐसा पकवान हैं जो विशेष रूप से भैयादूज के समय और सर्दियों में बनाया जाता हैं । भैया दूज के समय बहनें अपने भाईयों को तथा बहनें आपस में एक दूजे को टीका करती हैं तब खुद के बनाये अन्य अनेक प्रकार के पकवान भेंट करती हैं उनमें से एक हैं भटाबरू ।
सर्दियों में बनने वाला ( वैसे 12 महीनों बना सकते हैं ) ये पकवान गेंहू के आटे से बनाया जाता हैं। सर्वप्रथम गेंहू के आटे को छाना जाता हैं फिर घी का मौण (अंदाजन) लगाया जाता हैं ( अर्थात थोड़ा सा घी लेकर आटे को दोनो हाथों से मसला जाता हैं ) उसके बाद थोड़ा सा खोआ मिलाया जाता हैं और फिर धनसोआ (मीठी सोंफ) काली मिर्च , बड़ी इलायची , छोटी इलायची तथा दालचीनी को बारीक पीस लिया जाता हैं और आटे में मिलाया जाता हैं , फिर स्वादानुसार चीनी (पीसी हुयी) मिलाई जाती हैं । उसके बाद आटे को दूध से गूँधा जाता हैं । आटे को थोड़ा सख्त रखा जाता हैं , ज्यादा नर्म नहीं किया जाता । फिर आटे को थोड़े समय के लिए ( एक आध घंटे ) ढक कर रख दिया जाता हैं । उसके बाद थोड़ा सा आटा लेकर उसको मोटी रोटी की तरह बेल कर बड़ा किया जाता हैं फिर एक कटोरी को लेकर उससे छोटे छोटे गोल टिक्की की तरह आकार दिया जाता हैं , इस तरह पूरे आटे के भटाबरू बना लिए जाते हैं फिर कढ़ाई में घी गरम किया जाता हैं सामान्य तापमान पर। उसके बाद भटाबरू एक एक करके जितने आसानी से तल सके कढ़ाई में डाल दिये जाते हैं । उसके बाद धीमी आंच पर उनको पकाया जाता हैं तेज़ आंच पर पकाये जाने पर भटाबरू भीतर से कच्चे रह जाते हैं ।हल्का भूरा होने पर निकाल दिया जाता हैं । इस तरह सभी भटाबरू घी में पका लिए जाते हैं। गरम-2 भटाबरू को चाय के साथ खाने का अपना ही मजा है और यदि डुबोकर (चोकुआं) खाएंगे तो इसका अपना ही स्वाद आता है।
-लेखिका मीनाक्षी मीनू