मंडी के प्रसिद्ध व्यंज्जन- भूजी-भात
Posted on 14-09-2023 02:28 PM

                             भूजी-भात

मण्डी नगर के कुछ व्यंज्जन ऐसे हैं जो सदियों से विशेष तरीके से ही बनाकर खाए जाते रहे हैं।बरसात शुरू होने पर आंखें बाजार में इधर-उधर अरबी के पत्तों को ढूंढना शुरू कर देती है। यह समय होता है अरबी के पत्तों का साग (भूजी) और पतरोड़ु बनाने का।

अरबी के पत्ते खरीदने का विशेष स्थान:पलाक्खा बाजार

स्थानीय परंपरा में अरबी के पत्तों को खरीदने का सही समय सुबह के समय ही होता है क्योंकि खेतों से ताजा पते काटकर बाजार में बेचने हेतु छोटे स्तर पर ग्रामीण व्यापारी ले कर जाते हैं और इसके लिए दुकान ढूंढने की आवश्यकता नहीं पड़ती क्योंकि मंडी में रियासत काल से आपको निश्चित स्थान पर केवल सुबह के समय अरबी के पत्ते डंठल सहित बिक्री हेतु इसके मौसम में उपलब्ध रहते हैं,जिसे हम पलाक्खा बाजार के नाम से जानते हैं। प्रातः लगभग 9:00 बजे तक भागी ड्राई क्लीनर की दुकान और तारु करयाने की दुकान की पटरियों पर रेहड़ाधार व कटौला से आने वाले ग्रामीण व्यापारी मौसमी सब्जियां व अरबी के पत्ते बेचते हुए मिल जाते हैं। शाम के समय अरबी के पत्तों को कम ही खरीदा जाता है क्योंकि तब तक यह थोड़े सिकुड़ से जाते हैं (जिमठ्ठी जाएं) अरबी के पते पुराने समय में यहां पर कभी भी काट कर रोल किए हुए कभी नहीं बिकते थे।

हालांकि अब कुछ सब्जी विक्रेता चौहटे व अनयंत्र स्थानों पर अरबी के 6-7 पत्तों को लपेट-2 कर रोल बनाकर बेचते हुए आपको मिल जाएंगे।

बनाने की विधि:

भूजी बनाने की विधि बहुत ही आसान है। पत्तों को धोकर साफ करके बारीक काट करके इसे लोहे की कढ़ाई में ही बनाया जाता है जिस कारण इसमें लोहे के बर्तन से आयरन का गुण भी प्राप्त होने से इसका रंग काला हो जाता है। और थोड़े ही समय में तैयार हो जाती है। साग की तरह ही भूजी भी बनाई जाती है।

भूजी-भात खाने का तरीका:

भूजी का सेवन भात के साथ ही किया जाता है। रोटी के साथ खाने में आनंद नहीं आएगा। इसका सही तरीके से स्वाद लेने के लिए आपको हरी मिर्च, 'झमीरडी(पहाड़ी नींबू) व झोड़' का साथ चाहिए तभी आप चटकारे लेकर भूजी भात के स्वाद का असली आनंद ले पाएंगे। पहले मोटे चावल घर में बनते थे और तहसील चच्योट के ज्यूणी खड्ड के आसपास के क्षेत्र में उगाई जाने वाले मोटे चावल की विशेष किस्म के साथ भूजी खाने का अपना ही आनंद आता था लेकिन समय के साथ अब किसानों ने इस विशेष किस्म को उगाना कम कर दिया है।

भूजी पर कहावत:

भूजी के ऊपर मंडी में एक बहुत ही प्रसिद्ध कहावत भी अक्सर पहले सुनाई देती थी कि,"आस्सा की बोलणा कि मिएं खाद्धी भूजी?"

मण्डीपीडिया/2023


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Reviews Add your Review / Suggestion

मीनाक्षी कपूर
14-09-2023 03:11 PM
🙏🏻🙏🏻👏👏👌🏻👌🏻
Rajat Kapoor
15-09-2023 08:55 AM
Favourite
Subhash Sharma
15-09-2023 08:59 AM
Mandi ke vayanjno ki kaya kahne .Sabhi swasthyavardhak aur swadisht jo prachin samay se prachlit hain .We have retained our cultural heritage whether in eating habits and speaking in Mandiali Dialect .
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