मुंह दिखाई-मण्ड्याली रिश्तेदारी --विनोद बहल
Posted on 24-09-2024 02:18 PM

मंडी नगर में एक पुरानी प्रथा रही की शादी में जब 'बगोटू' बांटे जाते थे तो प्राय: चिट पर रिश्ते लिखे जाते थे। समय के साथ इसमें बदलाव आया और रिश्तों की गर्माहट अंकल-आंटी में सिमट कर रह गई। आज की युवा पीढ़ी को हिंदी की इस कविता में मंड्याली में बोले जाने वाले रिश्तो को पिरोया गया है। आशा है आप इस अभिनव प्रयोग को पसंद करेंगे।

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               मुंह दिखाई-मण्ड्याली रिश्तेदारी 

                                           --विनोद बहल 

नई दुल्हन घर पैर पाती

मिलते रिश्ते भांति-भांति

मण्डयाली में यूं परिचय कराते

रिश्ते सारे मन को भाते।

सास माता सासु बनी,ससूर बने सौहरा

दादी कहलाती दादसू,दादा को कहे ददौरा।

नाना को कहते नांह्दरा,नानी को नानसू

दूल्हे का मामा माह्लरा,मामी को कहना मालसू

चाचा हुआ पतरौरा, चाची बनी पतरेसू

ताया को तैहरा कहो, ताई को तायसू।

मौसी है मसेसू,जानो मौसा को मासड़

बुआ है तेरी बबेसू ,बुआई कहलाए बबेसड़।

दूल्हे का भाई जेठ,जेठानी बनी जठाणी

देवर को कहे दयोर, देवरानी को बोलो दराणी।

ननद तो नड़ान कहलाई,बहनोई बने नणदोई

22 रिश्तों की यह गाथा,वीआईपी और ना कोई।

रिश्तों के नाम ना भूलो,ना कहो इनको अंकल आंटी 

रिश्तो के समंदर में ढूंढो, खुशियां और शांति।

mandipedia.com /2024

           ------------ 23-9-2024-----------

पटेल यूनिवर्सिटी में मण्डी में इस कविता के ऊपर भी चर्चा हुई।https://www.facebook.com/share/v/1VYGKRmDN7h3aGxA/?mibextid=oFDknk

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