वल्लभ कालेज मण्डी बंद होने से कैसे बचा?
Posted on 26-02-2025 08:08 AM

अप्रैल 1948 को न भूलें

(प्रोफेसर हर्ष ओबेरॉय के आलेख Lest we forget April 1948 का हिंदी अनुवाद।)

हिमाचल प्रदेश का गठन शिमला हिल स्टेट्स और अधिकांश पंजाब हिल स्टेट्स के विलय से हुआ, जिसमें मंडी रियासत भी शामिल थी। मंडी पर उस समय महामहिम राजा जोगिंदर सेन जी का शासन था। उनके बड़े पुत्र युवराज यशोधन सिंह को मंडी जिले का पहला उपायुक्त (डिप्टी कमिश्नर) नियुक्त किया गया।

 मंडी में एक कॉलेज की स्थापना की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी, क्योंकि स्वतंत्रता से पहले उच्च शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक छात्रों को लाहौर जाना पड़ता था। लेकिन अब यह संभव नहीं था। इस स्थिति को देखते हुए युवराज यशोधन सिंह ने श्री गिरधारी लाल शर्मा को आमंत्रित किया, जो पहले सुकेत के महाराजा लक्ष्मण सेन के बच्चों के शिक्षक रह चुके थे। उन्होंने गिरधारी लाल शर्मा से इस दिशा में कदम उठाने की सलाह मांगी।

उनकी टीम के संयुक्त प्रयासों से यह पहल सफल रही और मंडी के लोगों को यह उपहार मिला। परिणामस्वरूप, वल्लभ महाविद्यालय की स्थापना हुई, जिसका नाम भारत के पहले गृह मंत्री के नाम पर रखा गया।

भारत संघ के गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के नाम पर इस कॉलेज का नाम रखा गया। श्री जी.एल. शर्मा कई अलग-अलग कॉलेजों से जुड़े रहे, पहले एक व्याख्याता के रूप में, फिर प्रधानाचार्य बने और अंततः हिमाचल प्रदेश के शिक्षा निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए।

इस कॉलेज के प्रारंभिक इतिहास के पन्नों से धूल हटाने पर यह पता चलता है कि स्थापना के कुछ समय बाद ही इसे आर्थिक रूप से अस्थिर पाया गया और सरकार द्वारा बंद करने के आदेश जारी कर दिए गए थे।

तब मंडी के सम्मानित नागरिकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने हिमाचल प्रदेश के मुख्य आयुक्त श्री एन.सी. मेहता से मुलाकात की और उनसे कॉलेज को जारी रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध किया।(सूत्रों से ज्ञात हुआ है की प्रतिनिधि मंडल में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी स्वामी कृष्णानंद जी महाराज व छात्र नेता स्व. श्री आर.एल.कैथ जी भी शामिल थे-अनु.)

श्री एन.सी. मेहता, जो स्वयं गुजरात से थे, ने उनकी बात सहानुभूति से सुनी और सरदार पटेल से मुलाकात की, उनसे अनुरोध किया कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें क्योंकि कॉलेज का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया था और इसे बंद करना अपमानजनक होता।

सरदार पटेल ने अपनी स्वीकृति दी और इसके बाद कॉलेज बिना किसी बाधा के कार्य करने लगा। आज यह राज्य के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में से एक है।

- हर्ष कुमार (सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य, वल्लभ राजकीय महाविद्यालय, मंडी)

अनुवादक: विनोद बहल एडवोकेट mandipedia.com

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